۱۰ مهر ۱۴۰۳ |۲۷ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Oct 1, 2024
सर्वोच्च नेता

हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई सोमवार को तेहरान में डिफ़ेंस युनिवर्सिटियों के पासिंग आउट स्टूडेंट्स के संयुक्त समारोह में शामिल हुए मुल्क में घटी हालिया घटनाओं की ओर इशारा करते हुए बल दिया इन घटनाओं में सबसे ज़्यादा मुल्क की पुलिस, स्वयंसेवी बल बसीज और ईरानी अवाम पर ज़ुल्म हुआ हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने फरमाया,इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई सोमवार को तेहरान में डिफ़ेंस युनिवर्सिटियों के पासिंग आउट स्टूडेंट्स के संयुक्त समारोह में शामिल हुए। उन्होंने इस समारोह में अपनी में मुल्क में घटी हालिया घटनाओं की ओर इशारा करते हुए बल दियाः इन घटनाओं में सबसे ज़्यादा मुल्क की पुलिस, स्वयंसेवी बल बसीज और ईरानी अवाम पर ज़ुल्म हुआ
अलबत्ता ईरानी क़ौम दूसरी घटनाओं की तरह इस घटना में भी मज़बूती के साथ सामने आई और आगे भी यही होगा।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच में ईरानी क़ौम को अपने मौला अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की तरह मज़लूम होने के साथ ही ताक़तवर क़ौम बताते हुए कहाः यह जो घटना पेश आयी जिसमें एक नौजवान लड़की की मौत हुयी, इससे हमें सदमा हुआ लेकिन बिना जाँच और ठोस सुबूत के इस घटना पर रिएक्शन, कुछ लोग सड़कों को अशांत बनाएं, क़ुरआन को आग लगाएं, पर्देदार औरत की चादर छीन लें, मस्जिद, इमामबाड़े और लोगों की गाड़ी को आग लगा दें, यह नॉरमल रिएक्शन नहीं था।
उन्होंने हालिया दंगों के पूर्व नियोजित होने की बात कही और ज़ोर दिया कि अगर इस नौजवान लड़की की घटना न घटी होती तो दुश्मन कोई दूसरा बहाना ढूंढते ताकि इस साल मेहर महीने के शुरुआती दिनों (सितंबर के आख़िरी दिनों) में मुल्क को अशांत करें और दंगे फैलाएं।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने हालिया घटनाओं में विदेशी ताक़तों के रोल की ओर इशारा करते हुए कहाः मैं साफ़ साफ़ कह रहा हूं कि ये दंगे और अशांति अमरीका और जाली ज़ायोनी शासन और उनके किराए के टट्टुओं की साज़िश थी जिसमें विदेश में मौजूद कुछ ग़द्दार ईरानियों ने भी उनकी मदद की।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हालिया दंगों के संबंध में अमरीका और पश्चिम के दोहरे स्टैन्डर्ड का ज़िक्र करते हुए बल दियाः दुनिया में बहुत से दंगे होते हैं, यूरोप में ख़ास तौर पर फ़्रांस और पेरिस में तो थोड़े थोड़े दिनों पर कोई बड़ा दंगा होता है, लेकिन क्या अब तक ऐसा हुआ कि अमरीकी राष्ट्रपति और अमरीकी प्रतिनिधिसभा के सदस्य दंगाइयों का समर्थन करें और बयान जारी करें? क्या ऐसा कभी हुआ कि संदेश दें और कहें कि हम आपके साथ हैं? क्या कभी ऐसा हुआ कि अमरीका और उसके पिट्ठू सऊदियों सहित क्षेत्र की कुछ सरकारों का मीडिया तरह इन मुल्कों के दंगाइयों का समर्थन करे? क्या कभी ऐसा हुआ कि अमरीकियों ने कहा हो कि हम इंटरनेट पर चलने वाला फ़लां सॉफ़्ट वेयर दंगाइयों को देंगे ताकि वे आसानी से संपर्क क़ायम रख सकें?! लेकिन ईरान में इस तरह का समर्थन बार बार हुआ है।
उन्होंने आगे कहाः एक लड़की की मौत पर अमरियों का संवेदना ज़ाहिर करना झूठ है, हक़ीक़त में वे इस वाक़ए से ख़ुश हैं कि उन्हें हिंसा फैलाने के लिए यह बहाना मिल गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच के दूसरे भाग में यह सवाल करते हुए कि विदेशी सरकारों की मुल्क में दंगा और अशांति फैलाने के पीछे क्या मंशा है? कहाः उन्हें महसूस हो रहा है कि मुल्क बहुआयामी ताक़त बनने की ओर आगे बढ़ रहा है जिसे वह बर्दाश्त नहीं पर पा रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि विदेशी सरकारों ने मुल्क के ओहदेदारों को मुल्क के पश्चिमोत्तर और दक्षिण-पूर्व में नए मसलों में उलझाए रखने की योजना बनाई है, कहाः दुश्मन ने मुल्क के पश्मिचोत्तर और दक्षिण-पूर्व के बारे में अपने अनुमानों में ग़लती की है। मैं बलोच क़ौम के बीच रह चुका हूं, वे पूरे मन से इस्लामी गणराज्य के प्रति वफ़ादार हैं। कुर्द क़ौम भी ईरान की सबसे ज़्यादा तरक़्क़ी करने वाली क़ौमों में हैं जो वतन, इस्लाम और इस्लामी व्यवस्था से लगाव रखती है, इसलिए उनकी साज़िश नाकाम होगी।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस बात पर ताकीद करते हुए कि अमरीका सिर्फ़ इस्लामी रिपब्लिक व्यवस्था का विरोधी नहीं, बल्कि वह सिरे से स्वाधीन व ताक़तवर ईरान के ख़िलाफ़ है, कहाः वे ईरान को पहलवी दौर में ले जाना चाहते हैं जब वह दुधारु गाय की तरह उनके हुक्म के आगे सिर झुकाता था।
इसी संबंध में उन्होंने आगे कहाः झगड़ा एक नौजवान लड़की की मौत या हेजाब और बेहेजाबी को लेकर नहीं है। बहुत सी औरतें हैं जो पूरी तरह हेजाब नहीं करतीं, लेकिन इस्लामी गणराज्य की पक्की समर्थक हैं और अनेक समारोहों में शामिल होती हैं। अस्ली झगड़ा इस्लामी गणराज्य की स्वाधीनता, दृढ़ता, मज़बूती और ताक़त को लेकर है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने मुल्क में हालिया दंगों में लिप्त तत्वों के बारे में कुछ बिन्दुओं का ज़िक्र करते हुए कहाः जो लोग सड़कों पर तोड़ फोड़ कर रहे हैं उन सबको एक नज़र से नहीं देखा जा सकता, कुछ नौजवान ऐसे हैं जो इंटरनेट पर किसी प्रोग्राम को देखने से उत्तेजित होकर सड़कों पर आ जाते हैं। ऐसे लोगों को चेतावनी के ज़रिए समझाया जा सकता है कि वे ग़लतफ़हमी का शिकार हैं। जबकि इनमें से कुछ ऐसे लोग सड़कों पर आते हैं जो इस्लामी गणराज्य से चोट खाने वाले तत्व हैं जैसे एमकेओ, अलगाववादी, राजशाही व्यवस्था की बहाली के लिए सक्रिय तत्व और घिनौनी सावाक (शाह की ख़ुफ़िया एजेंसी) के एजेंटों के रिश्तेदार हैं, इनके संबंध में न्यायपालिका विध्वंसक और सड़कों पर अशांति फैलाने वाली गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के स्तर के मुताबिक़ दंड तय करे और उन पर मुक़द्दमा चलाए।
एक और अहम बात जिसका सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच में ज़िक्र किया वह अमरीका सहित बड़े मुल्कों में अशांति का विषय है। इस संबंध में उन्होंने कहाः बड़े मुल्कों में अशांति और सबसे ज़्यादा अशांति अमरीका में है कि जहाँ आए दिन स्कूल, सुपर मार्केट और होटलों पर हमले होते हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपने बलबूते पर हासिल होने वाली सुरक्षा को मुल्क के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहाः हमारी सुरक्षा पूरी तरह अपने बलबूते पर, दूसरों पर निर्भरता के बिना है और यह सुरक्षा उस सुरक्षा से पूरी तरह अलग है जिसे दूसरे मुहैया करते हैं और उस मुल्क को दुध देने वाली गाय की नज़र से देखते हैं। 
उन्होंने इस्लामी गणराज्य की सुरक्षा आधार अल्लाह की ताक़त पर भरोसे, मानवता के अंतिम मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी के सहारे और ईरानी क़ौम व आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की दृढ़ता व ठोस विचारों को बताते हुए कहाः जो लोग दूसरों पर निर्भर हैं, कठिनाई के दिनों में वही विदेशी ताक़त उन्हें अकेला छोड़ देगी क्योंकि वह न तो उनकी सुरक्षा चाहती है और न ही सुरक्षा देना उसके बस में है। 
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच के एक भाग में हर साल यूनिवर्सिटी से कई हज़ार जोशीले जवानों के सशस्त्र बल में शामिल होने को मुल्क के लिए बड़ी ताक़त, बड़ी ख़ुशख़बरी, मज़बूती और नवनिर्माण का चिन्ह बताते हुए कहाः ईरानी जवानों का देश में विज्ञान, अर्थव्यवस्था, राजनीति और मिलिट्री के क्षेत्र में आना सच में उम्मीद पैदा करने वाला है।
सुप्रीम लीडर की स्पीच से पहले सशस्त्र बल के जनरल स्टाफ़ के प्रमुख जनरल बाक़ेरी ने देश की हालिया घटनाओं के बारे में अपनी स्पीच में बल दिया कि कुछ ग़ाफ़िल और दूसरों के पिट्ठू लोगों के अशांति पैदा करने से सत्य के मार्ग पर ईरानी क़ौम के गर्व के साथ आगे बढ़ते क़दम नहीं रुकेंगे। उन्होंने कहाः सशस्त्र बल अवाम के साथ रहते हुए एकता व एकजुटता के साथ मज़बूत रेज़िस्टेंस के आदेश अमल करते रहेंगें

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